Spiritual Short Stories

Spiritual Short Stories Index:

  1. रावण ने कैसे युद्ध से पहले अपनी सेना का मनोबल बढ़ाया 
  2. कब-कब भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को बचाया 
  3. दिवाली मनाने के वो कारण जिनके बारे में आप नहीं जानते
  4. क्या हैं छठ पूजा का इतिहास 
1. रावण ने कैसे युद्ध से पहले अपनी सेना का मनोबल बढ़ाया 

जब प्रभु राम का नाम लिखने मात्र से पत्थर समुंदर में तैरने लगे तो यह देखकर लंका के लोग घबरा गए और समझ गए कि  प्रभु राम क़ोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि भगवान विष्णु के अवतार हैं। और अब लंका का विनाश को क़ोई नहीं टाल सकता। 

जब रावण को इस बात का पता चला कि उसके लोग भयभीत हैं तो उसे यह समझने में देर न लगी की इस मनोबल के साथ सेना युद्ध नहीं लड़ सकती और अपने लोगों का मनोबल बढ़ाने के लिए उसने कहा कि पत्थरों का पानी में तैर जाना राम की  महानता को सिद्ध नहीं करता। ये तो मैं भी कर सकता हूँ।

जबकि रावण जानते थे कि प्रभु राम भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। 

रावण के भी पत्थर पर रावण लिखा और समुंदर में फ़ैकने से पहले, धीमे स्वर में पत्थर को कहा तुझे प्रभु राम की सौगंध हैं अगर तू डूबा। और वो पत्थर तैरने लगा।

ये देखकर लंका के लोगों का मनोबल बढ़ा और उन्हें भी लगा कि उनके स्वामी रावण भी किसी से कम नही।

सीख़ – अपनो का मनोबल बढ़ाने के लिए केवल बोलना ही सदैव कार्य नहीं करता कई बार करके दिखाना पड़ता हैं।।।

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2. कब-कब भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को बचाया

अर्जुन महाभारत के सबसे बड़े धनुर्धर कहलाए पर क्या आपको पता हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने एक बार नहीं बल्कि कई बार उन्हें मृत्यु से बचाया।

प्रथमजब भीष्म पीतामह से उनका युद्ध था तब शिखंडी को ढाल बनाया गया।

द्वितीयजब गुरू द्रौनाचार्य अर्जुन के समक्ष थे। उस समय प्रथम और अंतिम बार युधिष्ठिर के सत्यवचन को अधूरा सुनाकर गुरू द्रौन की मृत्यु करवायी गयी। 

तृतीयजब कर्ण के ब्रह्मास्त्र का अर्जुन पर प्रयोग होना था तब घटोत्कच को रणभूमि पर उतारा गया।

चतुर्थजब कर्ण ने वैष्णव अस्त्र का प्रयोग किया तो स्वयं भगवान कृष्ण ने उसे निष्फल किया।

पंचमजब अस्वथामा ने नारायण अस्त्र का प्रयोग किया तब भगवान श्रीकृष्ण ने उससे बचने का मार्ग दिखाकर सभी पांडवों और उनकी सेना को बचाया।

अर्जुन को बारबार बचाने वाले सिर्फ़ मधुसूदन थे।

जीवन में अगर आपका सारथी/Mentor/Coach अच्छा हैं तो वो आपको किसी भी विपदा से बचा लेगा।

सीख़ – अपने सारथी का चुनाव उचित तरीक़े से करें।।।

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3. दिवाली मनाने के वो कारण जिनके बारे में आप नहीं जानते

क्या आपको पता हैं दिवाली मनाने का एक नहीं बल्कि कई कारण हैं : 

माता लक्ष्मी का पुनर्जन्म  एक बार इन्द्र देव ने अपने घमंड में माता लक्ष्मी को पृथ्वी छोड़कर जाने को कहा और माता लक्ष्मी समुंदर में समा गयी। और देवताओं की प्रार्थना पर 1000 वर्षों के बाद फ़िर से पृथ्वी पर लौटी थी। दिवाली का दिन माँ लक्ष्मी का पुनर्जन्म माना जाता हैं।

भगवान कृष्ण की विजयनरकासुर का वध सिर्फ़ उनकी माता के द्वारा ही हो सकता था और अगले जन्म में नरकासुर की माता का जन्म भगवान कृष्ण पत्नी सत्यभामा के रूप में हुआ और भगवान कृष्ण को घायल देखकर सत्यभामा ने नरकासुर राक्षस का वध किया। नरकासुर ने कहा था मैं चाहता हूँ कि मेरी मृत्यु पर क़ोई दुखी न हो बल्कि मेरी मृत्यु को उत्साह और हर्ष के साथ प्रकाश में मनाया जाए।

काली पूजाक्या आपको पता हैं कि West Bengal में दिवाली के दिन काली पूजा मनायी जाती हैं। मनायताओं के अनुसार, माँ काली ने आज के दिन राक्षसों का वध किया था। 

भगवान राम और माँ सीता की अयोध्या वापसीआज के दिन ही भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या पधारे थे।  

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4. क्या हैं छठ पूजा का इतिहास?

कथाओं के अनुसार, 

1. भगवान राम और माता सीता ने भी लंका से लौटने के बाद छठ का व्रत रखकर सूर्य देव की आराधना की थी। और माना जाता है कि छठी मैय्या और सूर्य देव की कृपा से उनके राज्य में किसी चीज की कमी नहीं हुईं।

2. पांडव जब जुए में सारा राज्य हार गए, तब भगवान कृष्ण की प्रेरणा से द्रोपदी सहित पांचों पांडवों ने भी छठ व्रत का पालन किया था। इसके बाद ही वो महाभारत के युद्ध में विजयी हुए थे और उनको खोया राज्य प्राप्त हुआ था।

3. महादानी कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। कहते हैं वे भी पानी में खड़े होकर षष्ठी के दिन भगवान सूर्य की पूजा घंटों तक करते रहते थे। भगवान सूर्य की कृपा से दूर्योधन और अधर्म का साथ देने के बावजूद कर्ण का नाम बहुत आदर से लिया जाता है। 

वैसे तो छठ पूजा एक ऐसा पर्व हैं जो UP, बिहार और झारखंड में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं।

लेकिन ये ही एक ऐसा व्रत हैं जो जिसे लोग जातपात से ऊपर उठकर एक जगह साथ स्नान करके मनाते हैं। ये ही एक ऐसी पूजा हैं जो बिना किसी पंडित के सूर्य देव की आराधना करके संपन्न होती हैं।

सीख़ – श्रद्धा और विश्वास से अगर क़ोई कार्य किया जाए तो वो ज़रूर परिणाम देता हैं फ़िर वो क़ोई पूजा या आस्था से जुड़ा कार्य ही क्यों न हो।।।

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